ज़िंदगी रुकी सी है,
कुछ खाली खाली सी है,
हवा का रुख कुछ अनकहा सा है,
सागर का जल भी ठहरा सा है,
ऐसे में लहरों का बहाव चाहिऐ,
मुझको अब बदलाव चाहिऐ.
कुछ खाली खाली सी है,
हवा का रुख कुछ अनकहा सा है,
सागर का जल भी ठहरा सा है,
ऐसे में लहरों का बहाव चाहिऐ,
मुझको अब बदलाव चाहिऐ.
हवा में ज़हर घुला है,
साँस लेने में आफत है,
स्वर्ग कहते हैं जिसको,
वह फिजा अब रास नहीं आती,
अब टू नरक में पड़ाव चाहिए,
मुझको अब बदलाव चाहिऐ.
साँस लेने में आफत है,
स्वर्ग कहते हैं जिसको,
वह फिजा अब रास नहीं आती,
अब टू नरक में पड़ाव चाहिए,
मुझको अब बदलाव चाहिऐ.
हर शख्स परेशां है,
हर आँख में कुछ नमी सी है,
हर दिन रात सा अँधेरा है,
और इस रात की सुबह नज़र नहीं आती,
इन बहते अश्कों में ठहराव चाहिऐ,
मुझको अब बदलाव चाहिऐ.
-Vineet Bhardwaj
Vineet Bhardwaj is a close friend of mine and is a good poet. A student of the department of Ocean Engg. and Naval Architecture at IIT Kharagpur, Vineet aspires to join the Civil Services.
Do send him feedback on his poem at http://www.orkut.com/Profile.aspx?uid=6686864990444632777
हर आँख में कुछ नमी सी है,
हर दिन रात सा अँधेरा है,
और इस रात की सुबह नज़र नहीं आती,
इन बहते अश्कों में ठहराव चाहिऐ,
मुझको अब बदलाव चाहिऐ.
-Vineet Bhardwaj
Vineet Bhardwaj is a close friend of mine and is a good poet. A student of the department of Ocean Engg. and Naval Architecture at IIT Kharagpur, Vineet aspires to join the Civil Services.
Do send him feedback on his poem at http://www.orkut.com/Profile.aspx?uid=6686864990444632777
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